होली: Store Khun ki holi | भूतिया चुड़ैल की होली | horror stori in hindi

 होली: Story Khun ki holi | भूतिया चुड़ैल की होली | horror story in hindi


श्यामगढ़ स्टेशन की तरफ जाने वाली ट्रेन श्यामा एक्सप्रेस हवा को तेजी से चीरती हुई। अपने रास्ते जा रही थी। ऐसा माना जाता हैं, कि उस ट्रेन में भूतो वा चुड़ैलो का वास हैं। उस ट्रेन में अक्सर भूतो का वारदात सामने आई हैं। ऐसा माना गया हैं, कि उस ट्रेन में अक्सर लोगो की मौत हुवा करती हैं। और उस ट्रेन में होने वाली मौत का जिम्मेदार कोई ड्राइवर वा इंसान नही हैं, बल्की एक प्रेत आत्मा हैं। और ऐसी ही कहानी नीरज पाण्डेय और शिला की हैं।

बेलापुर में रहने वाले तीन लोग जिनका नाम नीरज, पाण्डेय, शिला, ये तीनों दोस्त थे। और उन लोगो को भूतों और प्रेत आत्मो को कहानी में काफी मजा आता था। इस लिए वो इस होली की छुट्टियों में अपने घर पर होली करने के बजाय वो उस ट्रेन में सफर करने का प्लान बनाते हैं। और

नीरज ने कहा

मैंने सुना हैं कि श्यामगढ़ को जाने वाली ट्रेन में किसी प्रेत आत्मो का साया हैं। और क्यो न हम इस बार की होली उस ट्रेन में नए।

तभी शिला बोली

पर यार होली तो हमेशा अपने परिवार वालो के सामने मनानी चाहिए। ना ऐसे तो मह भूतो और प्रेतों के बीच जाकर होली नही मनाएंगे। ऐसा न हो कि कही वो हमारे साथ होली खेलने लगें। 

तभी नीरज बोला

हाँ यार पाण्डेय वैसे शिला सही बोल रहीं हैं। होली हम लोगो को अपने घर पर ही मनानी चाहिए।

तभी पाण्डेय -

हाँ-हाँ मुझे पता है, कि तुम सारे फट्टू हो, डरपोक कही के कोई बात नही मै खुद ही अकेले चले जाऊँगा। तुम लोग आओ चाहे ना आओ मुझे कुछ फर्क नही पड़ता हैं। मैं तो उस ट्रेन का सच पता करके ही रहूँगा। इतना कहकर पाण्डेय वहा से चला जाता हैं। और उसका गुस्सा देखकर 

शिला बोली -

नीरज, पाण्डेय तो ऐसे गुस्सा में उठकर चला गया। क्या हमें उसके साथ जाना चाहिए। 

नीरज- 

यार मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहें, पर क्या करे, पाण्डेय हमारा दोस्त हैं। और हमे उसके साथ जाना  ही चाहिए। ऐसा ना हो कि वो किसी मुसीबत में पड़ जाए।

तभी शिला बोली

हाँ यार नीरज तुम सही बोल रहे, हो इतना कह कर शिला पाण्डेय को फोन लगती हैं। और शिला बोली पाण्डेय तू गुस्सा ना हो मह तेरे साथ उस ट्रेन में जाने के लिए तैयार हैं। लेकिन हाँ अपने सुरक्षा के लिए सारा सामान लाना ना भूलना, और पाण्डेय खुश हो जाता हैं।

और अगले दिन बेलापुर स्टेशन पर पाण्डेय, नीरज और शिला श्यामगढ़ जाने वाली ट्रेन का इंतजार करने लगते हैं। और कुछ समय बाद वह ट्रेन आ जाती हैं। और वो सभी उस ट्रेन में बैठ जाते हैं। 

तभी शिला बोली

यार इस ट्रेन में तो कोई नही हैं। हम लोगो के अलावा

पाण्डेय बोला शिला को

वो मेरी माँ ये सामने वाले डिब्बे में देख कौन हैं। तो ग्वार की ग्वार ही रहेगी। हम फ़ास्ट क्लास ऐसी में हैं, और फ़ास्ट क्लास ऐसी में वही रहता हैं। जिसके पास टिकेट होते हैं। ग्वार कही कि


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